मेरी भूल है तो बस इतनी,
मेरी भूल को तुम्हारी भूल समझा।
तुमने दिखाए मौत के रास्ते,
मैं उन्हें जीनें की बहारें समझा।
यह समझना ही समझा, तब मैंने,
पर और कूछ न तुम्हारे बगैर समझा।
जो मिलते ही नहीं कभी,
वो तनहाईयों का आलम क्या जाने।
फूलों की सेजों पर बैठने वाले,
काटो पर चलनेवालों को नहीं हँसते।
माफ़ करना मुझको ऐ बेवफा,
तेरी नफरत को मैं प्यार समझा।
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