Sunday 15 June 2014

श्रधांजली - स्व. महंमद रफ़ी

हमारे ग़मों के साथी, हमें गम में छोड़ गये।
मंझील दूर थी अभी, राहों में छोड़ गये।
हमराज, हमसफर, दुिनया में तनहा छोड़ गये।
प्यास बूझी भी नथी, की प्यासे छोड़ गये।
हँसते-हँसते, रोता हुआ छोड़ गये।
बिदा न किया हमने, हमसे रूठ, हमें छोड़ गये।
शाम ढली भी न थी, रात का कफ़न ओढ़ गये।
वक्त भी न दिया, एहसान-फरामोश बना गये।
अपनी याद, अपनी आवाज छोड़ गये।
हमारी दुआओं का न असर हुआ
आवाज के मािलक, अपनी याद, अपनी आवाज छोड़ गये।

स्व. महंमद रफ़ी के नाम


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