दुिनया पर मेरा राज है
मैं दुिनया से नहीं, वह खुद मुझसे है,
राखी बाँधने से पहले बहन भाई से मेरी माँग करती
नौकरी पाने के लिए भी मेरी ही जरूरत होती,
मेरे कारण होती हैं शािदयाँ
मेरे कारण कितनी होती बरबािदयाँ
मेरी वजह से ही लोग शराब पीतें हैं
मेरी वजह से लहू की दिरया बहाते हैं
मेरे कारण अबलायें वैश्या होती हैं
मेरे कारण ही ये लडाईयाँ होती हैं
क्या मुझे पहचाना भैय्या
कहते हैं लोग मुझे रुपैय्या ।
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